अत्यधिक मानसिक दबाव, व तनावपूर्ण जीवनशैली की शारीरिक अभिव्यक्ति भी हो सकती कमरदर्द :डा उपेन्द्र मणि त्रिपाठी
शरदपूर्णिमा के साथ सर्दियों की आहट के बीच मच्छरों से होने वाले रोगों डेंगू, चिकनगुनिया, मलेरिया और दिमागी बुखार के साथ एक आम समस्या माने जाने वाला पीठ के दर्द जिसे नजरअंदाज किया जाए तो ये आपके लिए तकलीफदेह हो सकता है।
सामान्यतः आयु बढ़ने के साथ शुरू होने वाले पीठ दर्द की शिकायत अब 20-40 वर्ष के उम्र में ही लोगों को होने लगी है।जिसका शिकार पुरुषों की अपेक्षा महिलाएं अधिक होती हैं। पीठदर्द स्वयं कोई रोग नहीं अपितु किसी रोग या उठने बैठने लेटने आदि की गलत आदतों से संवेदनशील नाड़ियों और अन्य अंगों पर प्रभाव के कारण लक्षण के रूप में व्यक्त होता है ।
क्यों होता है पीठ का दर्द
आज के तेज भागते जीवन में हजार गम हैं तमाम दिक्कतें ,पारिवारिक, सामाजिक, मानसिक दबाव, तनाव, चिन्ताएं हैं जो व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक रूप से थका देते हैं, उसका यह मानसिक बोझ उसकी शारीरिक अभिव्यक्ति के रूप में पीठ दर्द के लक्षण के तौर पर भी प्रकट हो सकता है। अन्य कारणों में संतुलित भोजन के अभाव, उठने ,बैठने, चलने के गलत मुद्रा, जोड़ों का घिस जाने, व्यायाम की कमी ,अधिक वजन उठा लेने , रीढ़ की हड्डी का खिसक जाने , मोटापा , कोई चोट या मोच, खेलकूद या यात्रा करते समय बार-बार झटके लगने से पीठ की पेशियों में तनाव पैदा होने से यह दर्द पीठ की मांसपेशियों, डिस्क और लिगमेंट्स से जुड़ी हडि्डयों में से किसी पर भी असर डाल सकता है।
लक्षण
पीठ के नीचले हिस्से या कमर में लगातार एकसमान हल्का-हल्का दर्द , शरीर में बहुत अधिक अकड़न तथा दर्द, हल्की सी भी चोट लगने पर बहुत तेज दर्द महत्वपूर्ण लक्षण हैं।
कैसे पाएं छुटकारा
भोजन में अनाज, लौकी, तिल और हरी सब्जियां और विटामिन सी, विटामिन डी , कैल्सियम और फास्फोरस से भरपूर आहार पोषण , शारीरिक व्यायाम और उठने बैठने चलने की सही मुद्रा का ध्यान रखना चाहिए, ज्यादा दर्द होने पर योग या व्यायाम , अथवा ज्यादा झुकने वाले आसन न करें, कुर्सी पर लगातार न बैठें आधे-आधे घंटे के अंतराल पर उठकर थोड़ी देर टहल लेना चाहिए।
कोई वजनदार चीज उठाते समय सावधानी बरते,घुटनों को मोड़कर उठाएं ताकि कमर पर जोर न पड़े।
कोई वजनदार चीज उठाते समय सावधानी बरते,घुटनों को मोड़कर उठाएं ताकि कमर पर जोर न पड़े।
पीठ में ज्यादा दर्द हो तो आराम करें, ठोस बिस्तरे पर सोएं , बिना चिकित्सक को दिखाए कहीं पढ़, सुन,कर अनावश्यक दर्द निवारक दवाईयां न लें।
होम्योपैथी में उपचार
होम्योपैथी में व्यक्ति में रोग के मूल कारणों को खोज कर तत्सम औषधि चयन किया जाता है इसलिए रोग के नाम से कहीं भी कोई दवा सुनकर पढ़कर नही लेनी चाहिए । चिकित्सक के निर्देशन में कास्टिकम, रूटा, रस टॉक्स, कैल्केरिया, ब्रायोनिया, काली कार्ब, ऑक्सलिक एसिड , सिलिसिया आदि दवाएं प्रयोग की जाती है।











