Monday, 22 May 2017

होम्योपैथी : तन मन जीवन की हर चोट का मरहम


चोट (injury) लिखने पढ़ने और बोलने में दो अक्षर का छोटा सा शब्द किंतु असर पीड़ा देने से प्राण लेने तक की सीमा तक करती है। सामान्य जीवन मे अचानक होने वाली यह दुर्घटना का परिणाम होती है इसलिए चिकित्सकीय दृष्टि से इसे इमरजेंसी या आकस्मिक चिकित्सा में रखा गया है, परीक्षण के आधार पर इसे सामान्य या गम्भीर माना जाता है और तदनुरूप उपचार का तरीका निश्चित किया जा सकता है। प्रचारित किये गए विश्वास के अनुसार दुर्घटना या चोट की आकस्मिक स्थितियों में होम्योपैथी का कोई लाभ नहीं क्योंकि यह देर से असर करती है, या मामूली चोट लगने पर भी पहले टिटनेस का टीका लगवाना जरूरी है फिर चाहे होम्योपैथी कर सकते हैं। यथार्थ तो यह है कि सभी पद्धतियों की अपनी क्षमताएं और सीमाएं है किन्तु होम्योपैथी के विषय मे यह अवधारणा जनमानस में इसलिए है क्योंकि जागरूकता के अभाव में जरूरी चिकित्सकीय मैनेजमेंट को भी वह एलोपैथी से ही जोड़कर समझता है। जबकि उचित प्रबंधन में सही समय पर सही होम्योपैथिक दवा के प्रयोग से भी आकस्मिक चोट मोच की स्थितियों में रोगी को लाभ दिया जा सकता है और उसकी जान बचाई जा सकती है। आमतौर पर ऐसे समय प्राथमिक उपचार की सामान्य विधियों की जानकारी यदि जनसामान्य को हो तो वह रोगी को चिकित्सक तक पहुचाने में सहयोगी हो सकता है। एक कारण यह भी है कि होम्योपैथिक क्लिनिक या सरकारी डिस्पेंसरीज में भी इस तरह के केसेज के लिए जरूरी प्रबंधन संसाधनों के अभाव में भी चिकित्सक मरीजो को पूरे विश्वास से रोक नहीं सकते, यह कुछ व्यवस्था की व्यवहारिक अक्षमताएं हो सकती हैं किंतु होम्योपैथी का सदुपयोग सामान्य इमरजेंसी मानी जाने वाली सामान्य चोट, मोच, रक्तस्राव, छिल या हल्का कट जाने,अचानक उत्पन्न दर्द, या संक्रमण अथवा गम्भीर इमरजेंसी समझे जाने वाले जलने, दुर्घटना में किसी अंग की हड्डी टूटने, लू लग जाने, मानसिक आघात आदि में भी सम्भव है।
सुविधा की दृष्टि से चोट की गम्भीरता के आधार पर विषय को सन्दर्भित किया जाए तो
सामान्य चोट -
बच्चों के खेलते समय किसी चीज से टकरा जाना, गिर जाना, झगड़े मारपीट में प्रहार ,या वाहन दुर्घटना, हल्का फुल्का कट जाने, छिल जाने से रक्तस्राव आदि की ऐसी सामान्य चोट जिसमें गम्भीर नुकसान की संभावना नही दिखती, इस दशा में होम्योपैथी की अर्निका, हैपेरिकम,कैलेंडुला, हैमेमेलिस, मिलीफोलियं, रस टॉक्स लीडम, आदि दवाएं प्रयोग की जाती हैं।
एक सामान्य तरीके के अनुसार कुचले हुए दर्द के लिए अर्निका सर्वोत्तम औषधि है , यह एंटीसेप्टीक का कार्य करती है और अंदरूनी भाग में खून जमने नही पाता और दर्द सूजन भी कम हो जाती है।
चोट : मोच-
दैनिक कार्य के दौरान गलत तरीके से व्यायाम, फिसलने,  कुछ वजन उठा लेने ,आदि से शरीर के जोड़ वाले भागों कलाई, कमर, पैर, आदि में मोच के कारण सूजन दर्द आ जाती है ऐसे में भी होम्योपैथी की रूटा, रस टॉक्स शानदार कार्य करती हैं।
चोट और रक्तस्राव-
यह किसी प्रकार की बाहरी या अंदरूनी चोट के कारण हो सकता है, अथवा नकसीर,मासिक का, या किडनी में पथरी का आदि। इसके लिए होम्योपैथी में हैमेमेलिस सामान्यतः वेनस ब्लड के लिए, मिलफोलियं- आरटेरियल ब्लड, क्रोटेलस पेरिफेरल या टॉक्सिकेशन के कारण रक्तस्राव के लिए उयोगी दवाएं हैं।
चोट आदि के कारण यदि कहीं से खून बहने लगे तो तुरंत उस स्थान पर हैमामेलिस वरजिनिका मदर टिंक्चर वहां रूई से लगा दें और इसकी 10-12 बूंद आधा कप पानी में डालकर पिला दीजिये, जल्दी ही खून बन्द हो जाता है।
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चोट में होम्योपैथी-
यहां एक तथ्य बताना और समीचीन होगा कि चोट का असर यदि गहरी मांसपेशियों तक है तो बेलिस पर, हड्डियों के आवरण तक है तो रूटा, नसों तक है तो हाईपेरिकम, धारदार हथियार से कटने से स्टैफिसग्रेया, नुकीली चीज से है तो लीडम, और संक्रमण से बचने या घाव आदि की पट्टी करने के लिए कैलेंडुला मदर टिंक्चर व सूखने के लिए गन पावडर , इसी तरह हड्डी के टूटने पर सिफाइटम, रूटा, कैल्केरिया फॉस, कैल्केरिया फ्लोर, आदि का प्रयोग सामान्यतः चोट की अधिकांश समस्याओं का उचित प्रबंधन में संतोषजनक उपचार कर देता है।
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किसी दुर्घटना के कारण बेहोशी आदि हो रही हो तो रेस्क्यू 30 दे सकते हैं, आंख की पुतली में चोट लगने पर भी आर्निका, फेरमफास, आर्टिमिसिया वल्गैरिस प्रमुख दवाएं हैं।आर्टिमिसिया वल्गैरिस और सिम्फाइटम आंख की चोट की बहुत कारगर दवाईयां हैं जो चोट लगने पर दूसरी परेशानियों को भी दूर करती है.
लोहे की जंग लगी वस्तुओं से टिटनेस का भय और भविष्य में बचाव की दृष्टि से भी होम्योपैथी की लीडम, व हाईपेरिकम दवाएं सर्वोत्तम हैं। यद्यपि यह गम्भीर इमरजेंसी की अवस्था मे हो सकती है, इसके साथ ही कई बार घरेलू कार्यों के दौरान महिलाएं रसोईघर में कार्य करते समय किसी गर्म चीज से जल जाती है, अथवा तेज धूप, भाप, आग आदि से जलने पर भी तुरन्त कैंथेरिस मदर टिंचर का बाहरी प्रयोग किया जाए तो बहुत आराम दिया जा सकता है।अर्तिका युरेन्स, काली म्यूर भी कारगर दवाएं हैं। मैने स्वयं कई केसेज में इनका प्रयोग किया है और अब तो मेरे आस पास के लोग सामान्य जलने कटने पर होम्योपैथी प्रयोग करने लगे हैं।
चोट : डंक का दंश
किसी को घर में या बाहर खेलते घूमते कहीं  चूहा काट ले अथवा ततैया, मधुमक्खी, आदि शरीर में कहीं यदि डंक मार दे तो उस स्थान पर सूजन के साथ तेज दर्द होता है। इस समय लिडम पैलस्टर व एपिस मेल आपकी मित्र हो सकती हैं। डंक वाले स्थान पर लिडम पैलस्टर  क्यू की कुछ बूंद रूई से लगाने से आराम मिलता है।
कहते हैं न कि शरीर पर लगी चोट और उसके दर्द के इलाज के लिए दुनिया मे हजारों मरहम मिलते है मगर कुछ चोटें और कुछ दर्द ऐसे भी होते हैं जिनका कोई मरहम इस दुनिया के बाजार में नहीं मिलता...मगर होम्योपैथी दिखावे की दुनिया का बाजार नहीं यह तो आपके अंतर्मन को टटोलने वाली विधा है इसीलिए यह ऐसा विज्ञान है जिसका प्रयोग करना किसी साधना से कम नहीं,।
वस्तुओं से लगने वाली चोट सतही हो सकती है गम्भीरता होने पर प्राण ले सकती है किंतु मन मस्तिष्क पर लगी शब्दो की चोट,किसी के विश्वासघात, किसी के अपमान, किसी अपेक्षा, किसी उपेक्षा, की चोट इतने अंदर तक चोटिल करती है कि इसका असर इंसान के व्यक्तित्व पर दिखता है ।
इंसान की असीमित महत्वकाक्षायें , दिल टूटना चाहे वह किसी प्रिय स्वजन की मृत्यु के रुप मे हो, या उसके विछोह ,  प्रेम,या व्यपार मे असफ़लता के कारण,या अपने लक्ष्य की पूर्ति न होने पर ,इन सब का अंतिम परिणाम मानसिक लक्षणॊं के उभरने पर ही मालूम होता है । उस बच्चे के अन्दर झांक कर देखें जिसके माता -पिता का पूरा कन्ट्रोल उसके व्यक्तित्व को पूरी तरह से ग्रसित कर जाता है, या उस अबला से जिसकी अस्मिता का शिकार कुछ हवशियों द्वारा किया जा चुका हो और पूरी जिदंगी वह उन सदमों से उबर पाने मे अपने को लाचार पाती हो, बेटों से उपेक्षित बृद्ध मां बाप, भाईयों से प्रताड़ित भाई, पति पत्नी के क्लेश, तलाक या अलगाव के दंश झेलते बच्चों का मानसिक विकास जिस वातावरण में होता है वह निरन्तर न दिखने वाली ऐसी चोट से चोटिल होते रहते हैं जिसका परिणाम उनके युवा मन के भ्रमित विकृत व्यवहार में देखने को मिलता है।
जो हो चुका है उसकी भरपाई करना असंभव है लेकिन हाँ , इन न दिखने वाली मानसिक चोट की भरपाई हम होम्योपैथिक औषधियों से अन्य पद्दतियों की अपेक्षा अधिक सुगमता और दवा बन्द होने के बाद बगैर दवा पर आश्रित रह कर कर सकते हैं ।
रोगी परीक्षण के दौरान व्यक्तिगत या परिवारिक पृष्ठभूमि का आकलन करते हुए ऐसे लक्षणों को रोगी स्वयं कहता है,-" डॉ साहब जबसे अमुक घटना हुई बस उसके बाद से ही धीरे धीरे यह सब होता गया ...."आदि, इसे रिपर्टरी में "AILMENTS From," या " NEVER WELL SINCE". रुब्रिक के अंतर्गत चयनित किया जा सकता है।
सम्बंधित कुछ उदाहरण निम्न हैं-
NEVER WELL SINCE-Grief or death of beloved one : Nat Mur , Aur Met ( if suicidal , feels like life is gone), Ignatia.
NEVER WELL SINCE- broken heart : Natrum Mur, Ignatia, Lachesis.
NEVER WELL SINCE – business failure-Ambra G , Aur. calc. Cimic. coloc. Hyos. ign. kali-br. kali-p. nat-m. nux-v. ph-ac. puls. rhus-t. sep. sulph. verat.
NEVER WELL SINCE –Domination , children dominated by parents: CARC,Nat Mur, Staph.
AILMENTS FROM – abused; after being – sexually-ACON. am-m. ambr. anac. androc. ARN. ars. aur-m. bapt. bell-p-sp. berb. calc-p. cann-i. CARC. caust. croc. cupr. cur. cycl. falco-pe. foll. hyos. IGN. kreos. lac-c. lac-f. lyc. lyss. Med. Melis. nat-c. Nat-f. NAT-M. nux-v. OP.Orig. oxyg. petr-ra. Plat. SEP. STAPH. stram. thuj. toxi. tub. ust. xanth. ;
AILMENTS FROM – abused; after being – sexually – rape-aster. Carc.
किन्तु अफसोस की बात यह कि जनजागरूकता की कमी, समुचित प्रचार प्रसार, सरकारी तंत्र की उपेक्षा, संसाधनों के अभाव के कारण ऐसे मामलों में रोगी होम्योपैथ के पास उस अवस्था मे जाते हैं जब वह पूरी तरह निराश हो चुके होते हैं, और जीवन के बहाने के तौर पर स्वयं को संतोष देने के लिए इलाज करते रहना चाहते हैं। समय के साथ ये अदृश्य चोट गहरी हो चुकी होती है और उपयुक्त स्थान बना लेती है, यद्यपि यदि पूरे आत्मविश्वास के साथ प्रशिक्षित होम्योपैथी चिकित्सक से परामर्श लिया जाय तो आशातीत लाभ की सम्भवना हो सकती है।
डॉ उपेन्द्र मणि त्रिपाठी
परामर्श होम्योपैथ
फैज़ाबाद
8400003421
 

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