चिकित्सा, लेखन एवं सामाजिक कार्यों मे महत्वपूर्ण योगदान हेतु पत्रकारिता रत्न सम्मान

अयोध्या प्रेस क्लब अध्यक्ष महेंद्र त्रिपाठी,मणिरामदास छावनी के महंत कमल नयन दास ,अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी,डॉ उपेंद्रमणि त्रिपाठी (बांये से)

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Monday, 4 February 2019

डायबिटीज : अपना डर दूर करें, स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं

डायबिटीज क्या है?
डायबिटीज को सरलता से समझने के लिए पहले इसके नामकरण को समझ लेना चाहिए।
डायबिटीज ग्रीक भाषा का शब्द है, जिसका हिंदी में अर्थ होता है "बहना",

मैलिटस अर्थ मीठा
इंसिपिडस अर्थ इसके लिए हिंदी का कोई शब्द प्रयोग में ज्ञात नहीं, किन्तु सन्दर्भ गर्भावस्था में माता से सन्तान में संभावना से जोड़कर लिया जाता है।
हिन्दी में मधुमेह  दो शब्दों ,
"मधु" अर्थात "मीठा",
मेह अर्थात "बहना"
सुगर -अर्थात चीनी ,या शर्करा
जनसामान्य क्या समझता है- खून में शक्कर की मात्रा अधिक हो जाती है।

प्रश्न - कैसे हो जाती है।
जवाब- पाचन क्रिया में गड़बड़ी से।

प्रश्न -कैसी गड़बड़ी
जवाब- शरीर की आंतरिक पाचन क्रिया में अव्यवस्था से चयापचयी क्रिया में गड़बड़ी आती है।

प्रश्न -यह गड़बड़ी कैसे आती है
जवाब- पेट मे करेले जैसे आकार की एक ग्रन्थि होती है जिसे अग्न्याशय या पैंक्रियाज कहते है उसके आइलेट्स ऑफ लंगरहंस की बीटा कोशिकाओं से इंसुलिन नाम का हार्मोन स्रावित होता है जिसका कार्य शरीर मे ग्लूकोज जिसे हम सुगर कहते हैं के पाचन में सहयोग, और ग्लूकोज के उत्पादन को नियंत्रित करना होता है। इसके कारण आवश्यकता से अधिक ग्लूकोज को ग्लाईकोजन के रूप में लिवर व मांसपेशियों में संचित कर लिया जाता है। जो भोजन नही मिलने पर शरीर के लिए आवश्यक ऊर्जा प्रदान करता है।डायबिटीज में यही सहयोग बाधित हो जाता है।

प्रश्न - कैसे
जवाब- भोजन से प्राप्त होने वाला ग्लूकोज शरीर की कोशिकाओं के लिए ऊर्जा या ईंधन होता है, जिससे वे शरीर के लिए ऊर्जा का उत्पादन करती हैं। सामान्यतः भोजन से प्राप्त ग्लूकोज आंतो की आंतरिक झिल्ली (म्यूकस मेम्ब्रेन) द्वारा अवशोषित कर रक्त के माध्यम से कोशिकाओं तक पहुँचाया जाता है।कोशिकाओं में इसके लिए विशेष द्वार होते हैं जो सामान्यतः बन्द रहते हैं यह केवल इंसुलिन द्वारा ही खोले जा सकते हैं।अर्थात सुगर इंसुलिन की मदद से ही कोशिकाओं में प्रवेश करती है।सामान्य अवस्था मे पैंक्रियाज की बीटा कोशिकाएं खून में सुगर लेवल के लिए संवेदनशील होती हैं इसलिए जैसे ही इसकी सांद्रता रक्त में बढ़ती है ये इंसुलिन की आवश्यक मात्रा का स्रावण कर देती हैं।
यदि यही व्यवस्था गड़बड़ हो जाये तो कोशिकाओं के द्वार न खुलने से शरीर के लिए आवश्यक ऊर्जा उत्पादन हेतु उनको ग्लूकोज नही मिल पायेगा, और वह खून में ही रुका रहेगा।

प्रश्न - खून में ग्लूकोज की कितनी मात्रा रुकनी चाहिए, ज्यादा होने पर क्या होता है।
जवाब- रक्त के एक डेसी लीटर में सुगर की मात्रा 80 मिलीग्राम से अधिक होने पर किडनी उसे छानकर मूत्र के रास्ते निकाल देती है, किन्तु अधिक होने पर किडनी भी पूरी तरह इसे बाहर नही निकाल पाती।

प्रश्न-इससे क्या नुकसान हो सकता है?
जवाब- कोशिकाओं को आवश्यक ग्लूकोज न मिलने पर पहले से ,ग्लाईकोजन,वसा,को ऊर्जा में के उत्पादन में प्रयोग किया जाता है जिससे शरीर का वजन घटने लगता है, लम्बी अवधि के बाद प्रोटीन भी टूटने लगती है, जिससे मांसपेशियों और फिर पूरे शरीर मे कमजोरी महसूस होने लगती है।

प्रश्न - कितने तरह से सुगर बढ़ सकती है ?
सरल जवाब - जैसा कि स्पष्ट हो चुका है सुगर की मात्रा बढ़ने में इंसुलिन का ही महत्वपूर्ण योगदान है, अब इसके दो ही तरीके सम्भव हैं या तो इंसुलिन की कमी हो जाये या उसकी प्रभाविता अथवा कार्यक्षमता में कमी आ जाय।

प्रश्न - इंसुलिन के उत्पादन में कमी आने में पैंक्रियाज की बीटा सेल्स जिम्मेदार हो सकती है लेकिन कार्यक्षमता कैसे प्रभाबित हो सकती है।
जवाब- कई बार शरीर की डब्ल्यूबीसी ही बीटा सेल्स को खाने लगती हैं जिससे इंसुलिन का उत्पादन कम होने लगता है। इसे ऑटो इम्यून डिसऑर्डर या टाइप 1 डायबिटीज या डायबिटीज इंसीपीडस  कहते है।समान्यतः 20-30 वर्ष के आयुवर्ग के लोगों में होती है।
अध्ययनों से पता चला है इसी प्रकार यदि क्रोमियम मेटल इंसुलिन की कार्यक्षमता बढ़ाता है यदि इसकी कमी हो जाये तो 40 वर्ष से अधिक किन्तु अब तो कम आयुवर्ग में भी सर्वाधिक प्रचलित प्रकार का डायबिटीज टाइप 2 हो जाता है, इसे ही डायबिटीज मेलिटस कहते है।

प्रश्न - पहचान के मुख्य लक्षण क्या हैं ?
जवाब-अत्यधिक भूख, अत्यधिक प्यास, रात्रि में, व दिन में बार बार अधिक मात्रा में मूत्र त्याग,थकान, वजन कम होना, आंखों में धुंधलापन, आलस्य, पैरों में जलन, पिण्डलियों में दर्द, जननांगों में खुजली, घाव का देरी से भरना, चिड़चिड़ापन, यादाश्त में कमी, नपुंसकता आदि लक्षण प्रमुख हैं।
मुख्य दुष्प्रभावों में रेटिनोपैथी, रिनोपैथी, हर्ट प्रॉब्लम,व न्यूरोपैथी प्रमुख है।

प्रश्न - कौन लोग ज्यादा खतरे में होते है ?
जवाब - आनुवंशिक, मोटे व्यक्ति,आलस्य, तनाव, आराम तलब लोग, गर्भवती महिलाएं।

प्रश्न - कोई जांच जिससे पुष्ट हो सके।
जवाब - खून की नियमित खाली पेट, (सामान्य 70-110मिग्र/डेसी मिली)व भोजन के बाद (अधिकतम 140) जांच से।
HbA1c यदि 7 से कम है तो सामान्य माना जाता है।

प्रश्न - आहार सन्तुलित होना चाहिए, इसलिए क्या खा सकते है और किससे परहेज करें ?
जवाब- खाने में हरी सब्जी, खीरा, ककड़ी,निम्बू , छिलके वाली दाल, फाइबर युक्त अनाज,मूली, जामुन, करेला, लोकी, गेहूं चना, जौ के आटे की चोकरयुक्त रोटी,मेथी, हल्दी, आंवला आदि सम्मिलित करें और डालडा, घी, चीनी, मांस,मिठाई, मक्खन, क्रीम, पराठे,अचार, फ़ास्ट फूड , आलू, चावल, बाटी , रसगुल्ला, मैदा, सूखे मेवे से परहेज करें।

प्रश्न - और कोई सलाह ?
जवाब- स्वस्थ जीवन शैली अपनाएं, व्यायाम, शारीरिक श्रम करें, गुनगुना पानी पिएं, सुबह शाम कम से कम 3 किमी पैदल चलें, योग प्राणायाम करें, यम नियम का पालन करें।

डॉ उपेन्द्र मणि त्रिपाठी
चिकित्सक होम्योपैथ
कृष्ण विहार कालोनी (उसरू)
रायबरेली रोड -अयोध्या
मो-8400003421