चिकित्सा, लेखन एवं सामाजिक कार्यों मे महत्वपूर्ण योगदान हेतु पत्रकारिता रत्न सम्मान

अयोध्या प्रेस क्लब अध्यक्ष महेंद्र त्रिपाठी,मणिरामदास छावनी के महंत कमल नयन दास ,अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी,डॉ उपेंद्रमणि त्रिपाठी (बांये से)

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Monday, 22 April 2019

चुनावी बतकही : चयन और चुनाव में अंतर।

शहर में हर तरफ इन दिनों बस चुनावी चटकारे हैं जितने लोग उतनी बातें ,सबके अपने तर्क ,कहीं ज्वार कहीं आंधी कहीं सुनामी कहीं खामोशी तो कहीं निरपेक्षता की बहस ,और इन सबके बीच कुछ जागरण करती आवाजें कहती हैं  मत दान करना दान मत करना।
मन किया चलो गांव की चौपाल का हाल लिया जाय तो पहुच गया अपने गांव, शाम को मुंशी बाबा के साथ बाग के फरवार मे ही गांव के युवक बुजुर्ग और आने जाने वाले लोग बैठते हैं। घर परिवार गांव देश की बातें टीवी की चिकिचिक चर्चा से अलग जमीन की हकीकत की तस्वीर दिख रही थी।बिक्रमा बाबा के बड़े प्रिय है बाबा का हो तो अबकी का विचार है सबके केका जितावत हौ सबही? बिक्रमा -दादा कोउ नृप होय हमें का हानी और का लाभ, हां शौचालय बन गवा है बाकी देखो सड़क कहे रहे अभी कौनो पता नाय। हमरे बिरादरी वाले कहत हैं बिरादरी छोड़ के जे जाए ऊ अलग, चुने का हइये है खराब सबे हैं केहू तनी कम केहू तनी ज्यादा , तो जे कम नुकसान करे उहे ठीक। मूरत बोले भाई होए तो इहै चाही, ईमानदार कहा मिले, और जे होए वका के टिकट ही दे।समाज बिरादरी भी देखे का चाही।उनके लड़का बोला देखो भैया कहे हैं, सरकार बने तो नौकरी मिले.. हम तो सब उन्ही के साथ रहब.। बाबा बोले कौन भैया तुहै नौकरी देईहै.. ई सब खेल है अरे एक्को नियुक्ति होत है कहूं सब कोर्ट में लटकी हइन। हमारे हिसाब से तो चयन और चुनाव में यही अंतर होत है कि चुनाव में आवेदन कम परीक्षार्थी प्रत्याशी कम, सवाल आवेदक की इच्छानुसार, और मूल्यांकन करे वाली भीड़ जनता है जेकरे पास उन्ही में से चुनना है जौन है, वे चाहे ठीक होय या बेकार , औ जे ई सोचत है कि हमसे मतलब ना है झेले का तो वहू का पड़त है काहे कि कोई न कोई तो जीते ही।यह लिए जो हमारे हाथ मे है वका तो ईमानदारी से किया जाय। सालिक बीच मे ही बोल दिया तो दादा नोटा दबाय दिया जाय। नोटा अरे बसे कौन लाभ हमे तुहें होए ज्यादा से ज्यादा जे जीतत होए ऊ हार जाए तो जे जीते उहे कौन तोहर भला कय दे..बिक्रमा सही कहिन नुकसानदेह दुयनो हैं मुला जब चुनइन का है तो जे कम नुकसान कय सके उहे ठीक । तब मैंने भी कहा यह हम लोगों कक चुनाव करते समय उसके परिणाम को ध्यान में भी रखना चाहिए सरकार स्थायी हो मजबूत हो कि बार बार खींचतान न हो, देश के भीतर और देश के बाहर क्या असर होगा, दुनिया मे देश शक्तिशाली तभी होगा जब हमारी सरकार और उसकी नियत ठीक होगी।मास्टर साहब बड़ी देर से सुन रहे थे नीयत नियंत्रण से दुरुस्त  हो जाती है ।मुंशी भाई चयन और चुनाव में अंतर कितना भी हो लेकिन मूल्यांकन करने वाले को निष्पक्ष होना चाहिए, कॉपी में मिले नोट के बदले नम्बर देने की बात हो या नोट के बदले वोट, दोनो ही स्थितियों में योग्यता दरकिनार कर दी जाती है ,और बाद में यही समस्या खड़ी करते हैं...वो नौकरी के नाम पर चिल्लाते है ये अधिकार के नाम। सही संतुलित विचार हो तो समस्या का समाधान खोजना सरल है लेकिन जो शार्टकट से पास हो जाये वह योग्यता कहाँ से लाएगा फिर तो समय ही काटेगा। मूरत बोले ई तो सही है मास्टर साहब जनता अगर केहू ईमानदार मनई का जितावे न तो केहू भले पढ़े लिखे का खड़ा कय के जितावे तो जानो जनता चुनाव लड़त है न तो ये सब 10-12 गाड़ी से राजा यस अइहें और गांव देस के ही लड़िके उन्ही का भैया भैया कयके पिच्छे पीछे चापलूसी करीहे घर बाहर वालन का बतईहे बड़ी पहचान है ।या तो यसे ठीक इक्के मनई के चुनाव करे जनता सीधे और बाकी फिर यही के हिसाब से होय जे काम न करे वका तुरन्त बेदखल कय दिया जाय। हमने कहा मूरत बाबा लोकतंत्र में ऐसा नही होता आप जिस उद्देश्य के तहत कह रहे हो ठीक है किंतु उतना व्यवहारिक नहीं इसमे बाद में दोष आ सकता है लेकिन यदि जनता को यह अधिकार हो कि काम न करने वाले को वापस कर दिया जाय तो सम्भव है। किंतु इसके लिए मजबूत इच्छाशक्ति और समर्थन चाहिए होगा।बाबा अरे जौन सम्भव बा अबहि वके सोचों हम तो इहै कहब कि गांव के चुनाव होय तो गांव के बात देखो, प्रदेश के होय तो परदेश और देश के होय तो देश के बात अच्छा बुरा सोंच समझ के सभी लोग पहिले जाय के वोट देव फिर आपन सबही मिलजुल के रहो जब जरूरत पड़े तो सब लोग साथे मिलो हक के लिए भी लड़ो एकजुट रहबो, तो हमेशा बात सुनी जाए और जात बिरादरी में बंटयो तो जेका राज करे के बा ऊ राज करे और बाकी सब ऐसे बतकही।

डॉ उपेन्द्र मणि त्रिपाठी

Sunday, 7 April 2019

सरकार-निजी चिकित्सक अनुबंधित आधारित सेवा स्वास्थ्यनीति की वर्तमान आवश्यकता

होम्योपैथी महासंघ :विश्व स्वास्थ्य दिवस से विश्व होम्योपैथी दिवस तक स्वास्थ्य जागरूकता अभियान

डब्ल्यूएचओ की स्वास्थ्य दिवस पर यूनिवर्सल थीम हेल्थ कवरेज : एवरीवन, एवरीवेयर

अयोध्या ।स्वस्थ व्यक्ति ही परिवार, समाज, राष्ट्र व विश्व निर्माण की इकाई है इसीलिए जेनेवा में 1948 मे विश्व स्वास्थ्य संगठन का गठन हुआ और 1950 से हर वर्ष 7 अप्रैल को विश्व स्वास्थ्य दिवस एक वार्षिक थीम के साथ मनाया जाता है, इस वर्ष की थीम है हेल्थ कवरेज : एवरीवन, एवरीवेयर।

होम्योपैथी चिकित्सा विकास महासंघ द्वारा विश्व स्वास्थ्य दिवस 07 अप्रैल से विश्व होम्योपैथी दिवस 10 अप्रैल तक विशेष जागरूकता अभियान के तहत आमजन से भिन्न विषयों पर स्वास्थ्य संवाद व प्रबोधन आदि के द्वारा स्वास्थ्य समस्याओं में सरल सहज और हानिरहित होम्योपैथी की उपयोगिता का अभियान चलाया जाता है। महासंघ द्वारा इस वर्ष अभियान का समापन 17 अप्रैल को स्वस्थ व्यक्ति समरस समाज एवं समर्थ राष्ट्रनिर्माण में होम्योपैथ की भूमिका विषयक संगोष्ठी के साथ होगा।
जानकारी व जागरुकता होने पर स्वस्थ जीवनशैली अपना कर तमाम बीमारियों से बच सकते हैं जिससे आर्थिक सुरक्षा ,प्रगति के साथ हमारी ऊर्जा स्वयं के विकास में लगती है और समाज व राष्ट्र के निर्माण में विकास की गति प्रशस्त होती है। जागरूकता के जरिये ही विश्व से पोलियो, चेचक (स्माल पॉक्स) जैसी बीमारियों का उन्मूलन और टीबी, एड्स, कुष्ठरोग, छोटी माता सहित अन्य संक्रामक रोग जैसे मलेरिया, डेंगू बुखार, फाईलेरिया, चिकनगुनिया, पीला बुखार, चिचड़ी, कीट, सैंड फ्लाईस, घोंघा आदि के नियंत्रण में सहायता मिलती है।
स्वास्थ्य सर्वेक्षण के आंकड़े बताते हैं कि केवल 28-35 प्रतिशत लोग ही बेहतर साफ-सफाई का ध्यान रखते हैं इस कारण भी उम्र के अनुरूप बच्चों का विकास, गर्भवती महिलाओं व बच्चो में रक्ताल्पता, कुपोषण,आदि के क्षेत्र में अभी बहुत कार्य किये जाने की संभावनाएं शेष हैं।

क्या करना चाहिए सरकार को -
सभी को सभी जगह स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराए जाने का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए महासंघ लगातार शासन को सुझाव देता रहा है कि एक ही केंद्र पर सभी चिकित्सा पद्धतियों के सेवाएं उपलब्ध हों, संतुष्टि की बात है कि सरकार ने इस दिशा में कुछ कार्य किये हैं, किन्तु संसाधनों की ब्रह्द आवश्यकतापूर्ति तक सभी मान्य चिकित्सा पद्धतियों के पंजिकृत चिकित्सकों  की सेवाएं आमजनता के लिए आवश्यक कर दिया जाना चाहिए। इसलिए न्यूनतम 5000 की आबादी पर एक निजी चिकित्सक (होम्योपैथी -आयुष) को क्लिनिकल स्टैब्लिशमेंट एक्ट से मुक्त रखते हुए क्लिनिक के लिए सस्ती दरों पर सरकारी भवन, दुकान या जमीन उपलब्ध करवाकर ओपीडी समय मे सरकारी पर्चे पर सेवा उपलब्ध कराने का अनुबन्ध करना चाहिए और इसके लिए उन्हें सम्मानजनक मानदेय देना चाहिए। जिससे जनता को उसकी पहुँच में योग्य चिकित्सक , युवा चिकित्सकों को स्वावलम्बन का अवसर, व सरकार को न्यूनतम खर्च पर बेहतर स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने का यश प्राप्त हो सकेगा।

डॉ उपेन्द्र मणि त्रिपाठी
महासचिव
होम्योपैथी चिकित्सा विकास महासंघ