चिकित्सा, लेखन एवं सामाजिक कार्यों मे महत्वपूर्ण योगदान हेतु पत्रकारिता रत्न सम्मान

अयोध्या प्रेस क्लब अध्यक्ष महेंद्र त्रिपाठी,मणिरामदास छावनी के महंत कमल नयन दास ,अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी,डॉ उपेंद्रमणि त्रिपाठी (बांये से)

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Thursday, 5 November 2020

प्रथमोपचार : जानकारी प्रत्येक व्यक्ति के लिए जरूरी




आकस्मिक दुर्घटना की स्थिति में प्रथमोपचार का ज्ञान होने पर घायल व्यक्ति का जीवन बचाने के लिए  उसे अविलम्ब चिकित्सकीय सहायता उपलब्ध कराने तक प्रदान की जा सकने वाली सहायता से असमय होने वाली मृत्यु दर को कम किया जा सकता है। प्रत्येक व्यक्ति चिकित्सक नहीं हो सकता किन्तु चिकित्सकीय सहायता मिलने तक सामान्य जानकारी होने पर वह अबाध प्रथमोपचार जारी रखकर जीवन रक्षण का प्रयास कर सकता है।

प्रथमोपचार का एकमात्र  उद्देश्य व्यक्ति की जीवन रक्षा हेतु किसी भी अकस्मात दुर्घटना की स्थिति में रक्तस्राव व निर्जलीकरण को रोकते हुए उसे मानसिक सम्बल देना और स्थिर स्थिति में अविलम्ब चिकित्सालय पहुँचाना है। अतः प्रथमोपचार के समय व्यक्ति की श्वसन क्रिया पुनर्स्थापित करते हुए निरंतर कर उसके रक्त संचलन को बनाये रखने के प्रयास जीवन की रक्षा में सर्वोच्च प्राथमिकता होना चाहिए।

इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को मानव शरीर अंगों रचना व कार्य की सामान्य जानकारी भी होनी चाहिए जिससे सामान्य लक्षणों के आधार पर व्यक्ति के लिए आवश्यक प्रथमोपचार का निर्धारण कर सके।जैसे बेहोशी का कारण सिर में कोई चोट, कमजोरी, झटके या शुगर की अधिकता, मांसपेशियों या अस्थियों की चोट, जहरीले बिच्छू,सर्प दंश, विद्युत स्पर्शाघात या आग से जलने पर, जहर, आंख में कुछ गिरना, दम घुटने, डूबने आदि जैसी स्थितियों में व्यक्ति को पट्टी बांधना, रोगी को लिटाने की स्थितियों का ज्ञान , बेहोश या श्वासरोध होने पर सीपीआर आदि की जानकारी होना आवश्यक है।

सतर्कता एवं सावधानी से रोक सकते हैं दैनिक जीवन मे कई दुर्घटनाएं -
 
दुर्घटना स्वतः नहीं होती, ध्यान भंग, लापरवाही, विचारमग्नता, या नियमों की जानकारी का अभाव अथवा उपेक्षा आदि ऐसे कई कारण हो सकते हैं जिनके प्रति सतर्कता व सजग सावधानी बरतने की आदत हमे अकस्मात स्थिति से बचा सकती है।
उदाहरण के लिए छोटे बच्चों को सुलाते समय कम्बल या रजाई से उनके नाक को बंद न होने दें, जहरीली चीजों, सिक्के, गोली, बिजली के उपकरणों जैसी चीजों को बच्चों की पहुँच से दूर रखें। घर मे बिजली के कनेक्शन तार प्लग सही रहें, किचन में गैस सिलेंडर के लीकेज न हों , हवादार व खुला स्थान हो, पानी टपकता न हो, सीलन न हो, कूड़े करकट के आस पास जलती हुई कोई चीज न फेंके, धारदार औजार यंत्र रखने की व्यवस्थित जगह हो, वाहन के प्रयोग से पहले समय समय पर सर्विसिंग कराते रहे व सड़क पर प्रयोग के समय सड़क परिवहन के नियमो का पालन अवश्य करें, दोपहिया वाहन बिना हेलमेट न चलने आदत डालें, बिना जानकारी किसी यंत्र का प्रयोग न करें आदि ऐसी उपयोगी सावधानियां हैं जिन्हें दैनिक जीवन चर्या का हिस्सा बनाकर होने वाली दुर्घटनाओं में कमी लायी जा सकती है।

घर मे रखें प्रथमोपचार पेटी-

आकस्मिक स्थिति के लिए एंटीसेप्टिक कैलेंडुला लोशन, साफ रुई, पट्टी, चिपकने वाला टेप, कैंची, चिमटी, साबुन रख सकते हैं।

कब क्या करें प्रथमोपचार

हल्की फुल्की चोट रगड़ या घाव होने पर उबले हुए ठंडे पानी व साबुन से घाव को साफ कर एंटीसेप्टिक लोशन से ड्रेसिंग कर चिकित्सक से परामर्श लेने जा सकते हैं।

गम्भीर घाव व रक्तस्राव -
ऐसी स्थिति में व्यक्ति के प्रभावित अंग को संभव होने पर हृदय के स्तर से ऊपर उठाएं और घाव को उबालकर ठंडे किये साफ पानी व साबुन से साफ करें,हल्के रक्तस्राव वाली जगह पर कपड़े के पैड से कम से कम 5 मिनट तक दबाव बनाए रखें। बंद होने पर एंटीसेप्टिक लोशन लगाकर उपचार हेतु अतिशीघ्र चिकित्सालय पहुचायें।

गम्भीर रक्तस्राव-
अधिक तनाव ,दबाव या तापमान से कभी कभी नाक से रक्तस्राव होने लगता है ऐसी स्थिति में सिर को आगे झुकाकर नाक की जड़ के पास खून रुकने तक दबाएं और मुह से सांस लेने के लिए मुंह खुला रखने दें।सिर को पीछे नहीं करना इससे खून फेफड़ों में जा सकता है।
होम्योपैथी में इसके लिए फॉस्फोरस, ब्रायोनिया, मिलीफोलियम, मेलिलोटस,आदि दवाएं चिकित्सक के परामर्श से ली जा सकती हैं।

आंख में कुछ गिर जाए तो कार्निया को नुकसान पहुँचा सकता है, आंख को रगड़ें नहीं, छोटे पात्र में साफ पानी लेकर उसमे आंख को खोलें बंद करें। अथवा गुलाबजल या अरण्ड का तेल भी प्रयोग कर सकते हैं। साफ रुमाल को मोड़ कर पलके ऊपर की तरफ मोड़कर हल्के से साफ कर सकते हैं।यदि गहराई से दब गया है तो चिकित्सक को दिखाएं।

तेज धूप या उच्च तापमान में रहने पर मूर्च्छा जैसी स्थिति बनने लगती है पसीना नही होता उल्टी हो सकती है ऐसे में व्यक्ति को ठंडा करने के लिए कूलर में रखें, ठंडे गीले कपड़े से पोंछे , कलाई कमर व गर्दन पर बर्फ सेंक कर सकते हैं।
हल्की गर्मी लगने पर हुई थकावट की स्थिति में त्वचा ठंडी व चिपचिपी हो सकती है व्यक्ति की आंख की पुतलियों में दर्द हो सकता है ऐसे में नारियल पानी या नींबू नमक चीनी का घोल देना चाहिए।

यदि किसी व्यक्ति को विद्युत स्पर्शाघात हुआ है तो सबसे पहले सावधानी व सुरक्षा के साथ विद्युत प्लग को अलग कर सम्पर्क तोड़ें, सूखी लकड़ी, रबर की चप्पल, का प्रयोग करें। यदि हाई वोल्टेज है तो व्यक्ति को दूर से सूखी लकड़ी, रस्सी से अलग करें। सांस व हृदयगति चेक करें आवश्यक होने पर सीपीआर दें

सीपीआर - हृदय की धड़कन व श्वास की निरंतरता के लिए यह विशेष पद्धति है जिसका प्रयोग प्रशिक्षित व्यक्ति ही कर सकता है।

अचानक बेहोश होने वाले व्यक्ति को जमीन या पलंग पर लेटा कर उसके कपड़े ढीले कर दें, फिर दोनों पैरों को 45 डिग्री ऊपर उठा कर  रखें, पर्याप्त हवा आने दें, पानी की छींटे चेहरे पर कर सकते हैं।

गले मे कुछ अटक जाए तो -  उसे निकलने के लिए आगे पूरा झुकना पड़ सकता है, यदि खांसी आ रही है तो पीने के लिए कुछ नहीं देना चाहिए।व्यक्ति की पीठ पर थपकी दें, हाथ से पेट के ऊपरी भाग को बार बार दबाएं, आगे झुककर दबाव बनाते रहें।छोटे बच्चों को अपने पैरों पर उल्टा लिटाकर पीठ पर हाथ से मारते रहें।

पानी मे डूबने पर -
व्यक्ति को कमर पकड़कर उठा कर फेफड़ों से पानी निकालने का विधान करना चाहिए, छोटे बच्चों को उल्टा कर फिर सीधा कर सीने व पीठ पर उंगलियों से दबाव बनांकर फेफड़ों से निकलने का प्रयास करते हुए कृतिम सांस देना चाहिए।

जहर खाये व्यक्ति में चक्कर, बेहोशी, पसीना, झटके, नाक मुंह से पानी, एसिड पीने पर होंठ जले होने पर सहायता के लिए पहले जहर के प्रकार के बारे में जान लेना चाहिए, चिकित्सक को दिखाने के लिए उसके डिब्बे की खोज करवा लें। मिट्टी का तेल या एसिड पीने वाले, या बेहोश व्यक्ति को उल्टी नहीं करवानी चाहिए,।एसिड को न्यूट्रल करने के लिए सोडा या दूध पिलाना चाहिए।

दवा का सेवन किये व्यक्ति को उल्टी कराने के लिए तीन मग पानी मे नमक घोलकर पूरा पिलाएं, व्यक्ति के दोनों पैर फैलाकर बैठाएं, दो अंगुलिया रखकर गले मे हिलाएं और पेट दबाएं यह पद्धति चार पांच बार अपनाएं जहर बाहर आ जाएगा, फिर चिकित्सक को दिखाएं।

सांप काटने पर- शरीर मे जहर फैलने से रोकने के लिए हड्डी जोड़ के नीचे और घाव के कुछ ऊपर कपड़े या रस्सी से बांध कर अविलम्ब अस्पताल पहुचायें इस अवधि में मरीज को सम्बल देते हुए शांत रखने का प्रयास करें।

कुत्ता या बिल्ली काटने पर-  उबालकर ठंडे किये हुए स्वच्छ पानी से कैलेंडुला मदर टिंचर के साथ धोएं। फिर चिकित्सकीय सहायता लें।

मधुमक्खी के डंक से प्रभावित भाग को साफ पानी से धोएं यदि डंक है तो सावधानी से अलग करें, अमोनिया या सोडा लगा सकते हैं। अथवा होम्योपैथी की लीडम, वेस्पा, एपिस जैसी दवाएं तुरन्त कारगर हैं चिकित्सक से परामर्श कर लें।

बिच्छू के डंक को भी इसी तरह साफ पानी व कैलेंडुला मदरटिंचर से साफ कर लिमूलस व लीडम होम्योपैथी दवाएं चिकित्सक के परामर्श से ली जा सकती हैं।

इसीप्रकार दुर्घटना की स्थिति में हड्डी टूटने पर प्रभावित अंग को बिना नुकसान पहुचायें रक्तस्राव को नियंत्रित करने की विधि अपनाते हुए आवश्यकतानुरूप सीपीआर की सहायता से श्वसन व हृदय संचलन को निरन्तर रख मरीज को अविलम्ब अस्पताल पहुचाने में सहायता करनी चाहिए।

इसमे अपनायी जा सकने वाली विधियां स्थिति की गम्भीरता के अनुरूप निर्धारित की जा सकती हैं जिसके लिए व्यक्ति को सामान्य प्रशिक्षण प्रदान किया जाना आवश्यक है। इसप्रकार हम छोटी छोटी जानकारियों से अपनी सजगता सतर्कता और सावधानियों को जीवन का हिस्सा बनाकर स्वयं अपने परिवार के साथ समाज की भी मदद कर सकते हैं।

डा उपेन्द्रमणि त्रिपाठी
होम्योपैथी परामर्श चिकित्सक
जे बी होम्योहाल परिक्रमा मार्ग मौदहा अयोध्या।
महासचिव- होम्योपैथी चिकित्सा विकास महासंघ
सहसचिव-आरोग्य भारती अवध प्रान्त
मो-8400003421